" रोमन[अंग्रेजी]मेंहिन्दी-उच्चारण टाइप करें: नागरी हिन्दी प्राप्त कर कॉपी-पेस्ट करें "
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कबीरा खड़ा बाज़ार में ,लिए लुकाठी हाथ जो फूँके घर आपणा, चले हमारे साथ|| निंदक नेणे राखि आँगन कुटी छवाये || रहिमन धागा प्रेम का , तोड़ो मत चटकाय : : टूटे फिर न जुड़े , जुड़े तो गाँठ पड़ जाए | |
"उतार फेंक अपने तन मन पे ओढे सारे भार ,
नीचे हो हरी धरती ,ऊपर अनंत नीला आकाश,
भर सीने में सुबू की महकती शबनमी हवाएं ,
जोर-जोर से चिल्लाएं " हे हो , हे हो ,हे हो ",
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फिर सुनते रहें गूंज अनुगूँज और प्रति गूंज||"
इसे अवश्य पढें " धार्मिकता एवं सम्प्रदायिकता का अन्तर " और पढ़ कर अपनी शंकाएँ उठायें ;इस के साथ कुछ और भी है पर है सारगर्भित
" शब्द नित्य है या अनित्य?? "बताईयेगा कितना सफल रहा |
जीवन की इस सँध्याबेला में,
समय के चौराहे पर खड़ा अकेला मैं,
ज़र्जर देह संग काँपते स्वर और अधर हैं,
राह कठिन और पग लड़खडा़ रहे,
वो दूर कहीं दूर पर आयु के झरोखे ,
मुझे बुला रहे ,मुझे बुला रहे ॥
बस विदा गान की रीत है बाकी , श्वासों की डोली में , यादें बन कर बैठीं दुल्हन ; सब मिल गाओ गीत विदा के अब प्राणों की यह बारात , जब चल पड़ी ,चल पड़ी, चल पड़ी ॥ | | है देखी वक्त की ये रीत निराली , पहले काटे न कटती थीं रातें , उगता न था सूरज भी जल्दी, पर चाँद छुपा जल्दी आई दुपहरी, समय न ठहरा गुजरा निष्ठुर मौन , जब प्रिय मिलन की रात चल पड़ी, चल पड़ी ,चल पड़ी,।। |
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2 टिप्पणियाँ:
и всё эе: неподражаемо.. а82ч
It is a pity, that now I can not express - I am late for a meeting. I will return - I will necessarily express the opinion on this question.
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