" उमर वो बचपन की "
" उमर वो बचपन की "
अब क्या भूलूं क्या याद करूँ , लौटेगी न उमर वो बचपन की , वक्त से चाहे जितनी विनती-फरियाद करूँ || माँ का गुस्सा , दीदी की मनुहार , दद्दा का इकरार , बाबूजी का प्यार, भूले-भटके मिलते थे कभी-कभी , माँ नरम ,बाबूजी गरम ,दीदी चि़ड़चिड़,दद्दा के तेवर , ब्याज में भौजाई से तकरार जमा-पूंजी यही बचपन की, वो सब रह-रह याद करूँ उम्र जो गुज़री पचपन की || अब क्या भूलूं क्या याद करूँ , लौटेगी न उमर वो बचपन की , वक्त से चाहे जितनी विनती-फरियाद करूँ ||
|