'' संवेदनाएं - 3 ''
संवेदनाएं -3 ''मंत्रविद्ध '' हाय सारी अनुभूतियाँ मंत्रविद्ध सी , निश्चल हो गयीं, स्वर-वाणी भी खोयी ; भाव-सागर में जो मैं डूबा फिर न उतराया, संवेदनाओं की आंधी में मेरा शब्दकोष छितराया || ******************************************** कलम है ,ख्याल है , बता ये किस के दिल का हाल है ? घुमाई जो गर्दन,तेरी नज़र से निगाह मिली , अपना अक्स साफ नजर आया , आईना न था कोई सामने , मेरी निगाहों का भरम कोई या तेरी आँखों का ज़लाल था , खुदा खैर करे क्या कमाल,तेरी आँखों में मेरे दिल का हाल था | |
5 टिप्पणियाँ:
लाजवाब लिखा है आपने.............
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है देर बाद आने के लिये क्षमा चाहती हूँ आभार्
खूबसूरत..
सचमुच खुदा खैर करे.....जब इनकी आँखों में उनके दिल का हाल हो
खैरियत बताते रहियेगा
भवनाओं की अभिव्यक्ति बड़े जोरदार ढंग से हुई है
सादर बधाई स्वीकारें
तेरी आँखों में मेरे दिल का हाल था | nice
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