" मिल-जुल - मन का दीप -पर्व "
आओ अबकी ऐसा दीप-पर्व मनाएँ ,
ऐसा दीप-पर्व मनायें ,
मिल-जुल-मन सुबह के गीत गायें ,
हर नयन नयन , रोशनी की आस जगाये ,
संघर्ष दीप जला,आने तक सूरज धर्म निभायें
आओ ऐसा दीप पर्व मनायें |
आओ, गूँथ ह्रदय-बुद्धि-मन की माटी,
इक दीप बनाएं ,
अनुभूति-संवेदनाओं के तेल से ,
इक दीप भराएँ ,
ले,परस्पर गुंथीं विश्वास डोर की बाती
इक दीप सजाएं ,
आओ ऐसा दीप पर्व मनायें ||
ना हो किसी की 'निः आस ' घनेरी
हर घर ,राह -चौबारे आशाओं का ,
इक दीप जलाएं
अब कि ऐसा दीप पर्व मनाएँ ,
ऐसा दीप पर्व मनायें ||
3 टिप्पणियाँ:
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं आपको और आपके पूरे परिवार को।
द्विवेदी साहब,
बहुत बहुत शुभकामना दीपीवली की आपको और आपके परिवार को ।
happy diwali
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