अंतर्यात्री
यारो बनाओ मत मुझे मसीहा ,अंजाम मुझे मालूम है ;
हर मुल्क ओ दौरां में ,कत्ल होना ही गांधी का नसीब है ।।
हर दौर ए ईसा की तकदीर मुझे मालूम है ;
ख़ुद के कांधो पर उठाये फिरना ,अपना ही सलीब है ।।1।।
किस्मत है भटकना अब ,हर दौर ए मूसा की ;
अपनी रूह की परछाइयो का कारवां लिए।
जरूरी नही हर कारवां को ,अब कोह ए तूर कोई मिले: गर मिले भी लाजमी नही ,आतिशे नूर भी मिले ॥2॥
मत मांगना किसी दुख्तर ए हव्वा से ;
सीता सी अग्नि परीक्षा ,पाकीजगी के सुबूत में।
न सजा पाओगे अग्निकुंड , जी उठेगा यक्ष प्रश्न;
क्या ? राम सी मर्यादा किसी और ने भी निभाई है ॥3॥
महाभारत के सफर में ,यह बात नजर आयी है ;
क्या सहेगा कोई 'कर्ण ' की जिल्लतें औ रुसवाईयाँ ।
तन्हाईयों की "समर ",देना मत अब कभी दुहाईयाँ ;
दौर ए अदम में कौन जी सकेगा 'भीष्म" की तन्हाईयाँ ॥4॥
8 टिप्पणियाँ:
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आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
Zabardast alfaaz hain...andartak bhid gaye..."... gaandheeka naseeb hai". kitna sahee hai..."lazim nahee ke atishe noor mile"...kitnee panktiyan dohraun??
Anek shubhkamnaon sahit swagat hai...
word verification please nikal daliye ye vinamr binatee hai!
तन्हाईयों की "समर ",देना मत अब कभी दुहाईयाँ ;
दौर ए अदम में कौन जी सकेगा 'भीष्म" की तन्हाईयाँ ॥4॥
जबरदस्त अल्फाज़ भारी बात बधाई हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है मेरा आमंत्रण स्वीकारें मेरे चिट्ठे पर भी पधारे
प्रिय बन्धु,
आपका आदेश हुआ हाज़िर हो गया. प्रशस्तियाँ तो आपको मिल ही रही हैं.मैं क्या राय दूंगा. हाँ एक बात. आपने 'आतिशे-नूर' का प्रयोग किया है. नूर वह प्रकाश होता है जिसमें अग्नि नहीं होती, केवल चका-चौंध कर देने वाली चमक होती है. जिसकी ताब मूसा के साथी न ला सके और बेहोश हो गए. जिन्नातों की सृष्टि अग्नि-तत्व से हुई है और फरिश्तों की सृष्टि नूर-तत्व से.
जितना कहूंगा उतना कम है अभी इस काबिल नही इतनी ऊँची रचना पर अपनी राय दे सकूं....
बहुत ही शुभांग दर्शन हैं बस इतना ही कहना चाहूंगा......
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !! इस पर क्लिक कीजिए
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
बहुत-बहुत बधाई। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।
I am bereft of words to convey how moved I am after reading what you have written
हर शब्द बिलकुल करीने से संजो कर तैयार की गई अद्भुत रचना. भावों की समानार्थी एक और रचना कहीं पढ़ी थी, कहाँ याद नहीं आ रहा !
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