कबीरा खड़ा बाज़ार में ,लिए लुकाठी हाथ
जो फूँके घर आपणा, चले हमारे साथ
निंदक नेणे राखिये
आँगन कुटी छवाये रहिमन धागा प्रेम का , तोड़ो मत चटकाय : :
टूटे फिर न जुड़े , जुड़े तो गाँठ पड़ जाए
4 टिप्पणियाँ:
Jis raah par har baar mujhe apna hi koi ghalta raha,
phir bhi naa jaane kiyon us raah hi chalta raha.
Socha bahut is baar to rooshni nahi dhuyan doonga,
Lekin chiragh tha phitaratan jalta raha,jalta raha.
AAP KA SWAGAT HAI..........
KAVI DEEPAK SHARMA
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aap ke vichar acche hai mubarak ho
हमारे मन का दीप खूब रौशन हो और उजियारा सारे जगत में फ़ैल जाए इसी कामना के साथ दीपावली की आप सबको बहुत बहुत बधाई।
यह सब जीवन के अमूल्य धरोहर और प्रेरक विचार हैं .आराम के साथ जीना है तो इसे हमेशा याद रखना होगा .
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