" मेरे शब्दों की पूंजी तेरे पास होगी ,"
" अपना क्या "
अपना क्या ' ज़िन्दगी ',की शाम हुयी उम्र यूँ ही तमाम हुयी , ज्यूँ सूरज डूबेगा त्यों ही रूह उसके नाम हुयी, मुक्त हुआ मैं इस एकान्तिक अभिशाप से , पर रखना यकीं फिर आऊंगा , रूप बदल जायेगा ? पहचान पाओगी ? तब तुम्हे कोई इन्द्रधनुषी गीत सुनाऊंगा , आऊंगा और शब्दों की सृष्टि पुनः पुनः रचाऊंगा, मेरे शब्दों की पूंजी तेरे पास होगी , जब मांगू दे देना वरना , फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा !!!फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा
|
10 टिप्पणियाँ:
बे-haddd सुन्दर रचना...
रूप बदल जायेगा ?
पहचान पाओगी ?
तब तुम्हे कोई
इन्द्रधनुषी गीत सुनाऊंगा ,
आऊंगा और शब्दों की सृष्टि
पुन पुनः रचाऊंगा,
मेरे शब्दों की पूंजी तेरे पास होगी ,
जब मांगू दे देना वरना ,
फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा !!!फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा
आह्ह्ह..., मन खुश हो गया..... अब इससे ज्यादा तारीफ हमरे बस की नहीं है.....
nice............nice..................nice.................nice
'आऊंगा और शब्दों की सृष्टि
पुन पुनः रचाऊंगा,'
- सुन्दर.
Sundar.......lajawaab
बहुत सुंदर कविता ओर उस पर एक बहुत ही सुंदर गीत...... भाई आप ने तो मन मोह लिया.
धन्यवाद
' ज़िन्दगी ',की शाम हुयी
उम्र यूँ ही तमाम हुयी ,
ज्यूँ सूरज डूबेगा
त्यों ही रूह उसके नाम हुयी,
behtreen.
" अपना क्या "
अपना क्या
' ज़िन्दगी ',की शाम हुयी
उम्र यूँ ही तमाम हुयी ,
ज्यूँ सूरज डूबेगा
त्यों ही रूह उसके नाम हुयी,
bahut sundar .agle janam ki sonch bhi shaamil bahut khoob hai .
अन्योनास्ति जी,
असल में यह आलेख नहीं हैं, यह तो उस व्यख्यान का हिस्सा है जो काटजू जी ने दिया। मुझे भी यह जानकारी रोचक और भविष्य में काम करने लायक लगी। इसलिए इसे ब्लॉग डायरी में दर्ज कर लिया। मिंमांसा पर कोई साथी काम कर रहा हो तो विचार साझा कर सकता है, अन्यथा भविष्य में इस पर काम करने का मन है। फिलहाल में इस ब्लॉग पर में सृष्टि निर्माण के वैदिक और पौराणिक विवरणों का अध्ययन कर रहा हूं। उसमें कुछ रोचक जानकारियां जल्द ही साझी करूंगा।
आपने इस पर ध्यान दिया और उत्साह बढ़ाया इसके लिए धन्यवाद।
एकांत कभी अभिशाप नहीं होता ,वह साधना का मार्ग प्रशस्त करता है
मेरे शब्दों की पूंजी तेरे पास होगी ,
जब मांगू दे देना वरना ,
फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा !!!फिर से अभिशप्त हो जाऊंगा
वाह, हम जैसों के पास यही तो पूंजी होती है । सुंदर रचना ।
मेरे ब्लॉग पर आप पधारें बहुत आबार आगे भी कृपा बनाये रखें ।
एक टिप्पणी भेजें