,"रात यूं वीरान अँधेरी है"
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"ये खामोशी जीने दो " शुक्र खुदा ' हर रात यूं वीरान अँधेरी है ', कहते है दर्द से दर्द को राह ए सुकूँ होती है ! सिसकियाँ दूर तक सुनी जाती हैं विरानो में , श्श्श्श....रात को अपनी ये खामोशी जीने दो ! हर गम ए दिल के दर्द ए गम को राह पाने दो , न हो नासूर हर घाव,हर ज़िन्दगी आतिश-फशां ! पर रोते चेहरे भी हों न जाएँ रुसवा ,बेगानों में , इसी लिए हर रात वीरानी है हर रात अँधेरी है !!! श्श्श्श....रात को अपनी ये खामोशी जीने दो ! [ आतिश -फशां = ज्वालामुखी = volcano] पुनःप्रकाशित |
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