संवेदनाएं
मेरे "कबीरा " ब्लॉग पर एक महिला ने किसी कविता की प्रशंसा कीथी ,धन्यवाद ज्ञापन में वहाँ तक गया क्यो कि उस पर कविताएँ होंगी ऐसा मेरी सोच थी और ऐसा थाभी परन्तु एक कविता वहाँ पर एक कविता में आतंक वादी का शब्द चित्रण दिया था पर वह उसे ग्लोरिफाई करता था वहा टिप्पणी और उन्ही कि दो कविताओं से प्रेरणा ले मैंने भी कुछ लाईने कहने का प्रयत्न किया है | प्रेरणा के लिए मैं whimsical का आभारी हूँ [
चोरों की तरह छुप- छुप चलता,
बंदूकों -बारूदों के दम पर अकड़ता ,
अपनी सनक व पागलपन में जीता है ,
पागलों दरिंदों जानवरों सा दुस्साहसी
नशे के दम से लड़ता भटके मनो रोगी
अपनी ऊर्जा व्यर्थ करता ,
निर्दोषों औरतों बच्चों के खून से ,
धरती माँ का आँचल रगंता,
अपनी माँ की कोख को शर्मसार करता ,
बूझो तो ये है कौन ? कौन ? कौन ?
लगता तो पाकिस्तानी आई एस आई का मुर्गा
अपराधों के ठेकेदारों ,नशे के सौदागरों "दाऊद"का गुर्गा है
अरे ये तो आतंक वादी की तस्वीर है !!!???
मुम्बई शहीदों को नमन :
" खिले गुलाब से फूलों की पौध ,
जिनपे भवरे व मौन ग़ज़ल गाते हैं ,
रस भरे फलों से झुक झुक जाते पेड़ ,
जिनपे परिंदे ज़िन्दगी के गीत सुनाते हैं
मौसम की बेरुखी से फूल मुरझाते है ,
कोई आंधी आकर उन्हें जड़ों से उखाड़ जाती है
सूखे ठूंठ से पेड़ शेष रह जातें हैं ;
जैसे चले जाते हैं संदीप सा उन्नीकृष्णन
अच्युत्यानन्द से भूकने को रह जातें हैं [[
3 टिप्पणियाँ:
बढिया रचना लिखी है।बधाई।
sach ko jagrit kar diya in shbdon ne un shahidon ko naya jeevan diya...
बहुत आभार कि आपने मेरे शब्दों को मान दिया और राह दिखाई
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