मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

संवेदनाएं

मेरे "कबीरा " ब्लॉग पर एक महिला ने किसी कविता की प्रशंसा कीथी ,धन्यवाद ज्ञापन में वहाँ तक गया क्यो कि उस पर कविताएँ होंगी ऐसा मेरी सोच थी और ऐसा थाभी परन्तु एक कविता वहाँ पर एक कविता में आतंक वादी का शब्द चित्रण दिया था पर वह उसे ग्लोरिफाई करता था वहा टिप्पणी और उन्ही कि दो कविताओं से प्रेरणा ले मैंने भी कुछ लाईने कहने का प्रयत्न किया है | प्रेरणा के लिए मैं whimsical का आभारी हूँ [

बूझो कौन !!!???
चोरों की तरह छुप- छुप चलता,
बंदूकों -बारूदों के दम पर अकड़ता ,
अपनी सनक व पागलपन में जीता है ,
पागलों दरिंदों जानवरों सा दुस्साहसी
नशे के दम से लड़ता भटके मनो रोगी
अपनी ऊर्जा व्यर्थ करता ,
निर्दोषों औरतों बच्चों के खून से ,
धरती माँ का आँचल रगंता,
अपनी माँ की कोख को शर्मसार करता ,
बूझो तो ये है कौन ? कौन ? कौन ?
लगता तो पाकिस्तानी आई एस आई का मुर्गा
अपराधों के ठेकेदारों ,नशे के सौदागरों "दाऊद"का गुर्गा है
अरे ये तो आतंक वादी की तस्वीर है !!!???

मुम्बई शहीदों को नमन :
" खिले गुलाब से फूलों की पौध ,
जिनपे भवरे व मौन ग़ज़ल गाते हैं ,
रस भरे फलों से झुक झुक जाते पेड़ ,
जिनपे परिंदे ज़िन्दगी के गीत सुनाते हैं
मौसम की बेरुखी से फूल मुरझाते है ,
कोई आंधी आकर उन्हें जड़ों से उखाड़ जाती है
सूखे ठूंठ से पेड़ शेष रह जातें हैं ;
जैसे चले जाते हैं संदीप सा उन्नीकृष्णन
अच्युत्यानन्द से भूकने को रह जातें हैं [[

3 टिप्पणियाँ:

परमजीत सिहँ बाली 2 दिसंबर 2008 को 2:21 pm बजे  

बढिया रचना लिखी है।बधाई।

!!अक्षय-मन!! 2 दिसंबर 2008 को 9:15 pm बजे  

sach ko jagrit kar diya in shbdon ne un shahidon ko naya jeevan diya...

vimi 4 दिसंबर 2008 को 12:07 pm बजे  

बहुत आभार कि आपने मेरे शब्दों को मान दिया और राह दिखाई

" रोमन[अंग्रेजी]मेंहिन्दी-उच्चारण टाइप करें: नागरी हिन्दी प्राप्त कर कॉपी-पेस्ट करें "

"रोमन[अंग्रेजी]मेंहिन्दी-उच्चारण टाइप करें:नागरी हिन्दी प्राप्त कर कॉपी-पेस्ट करें"

विजेट आपके ब्लॉग पर

TRASLATE

Translation

" उन्मुक्त हो जायें "



हर व्यक्ति अपने मन के ' गुबारों 'से घुट रहा है ,पढ़े लिखे लोगों के लिए ब्लॉग एक अच्छा माध्यम उपलब्ध है
और जब से इन्टरनेट सेवाएं सस्ती एवं सर्व - सुलभ हुई और मिडिया में सेलीब्रिटिज के ब्लोग्स का जिक्र होना शुरू हुआ यह क्रेज और बढा है हो सकता हैं कल हमें मालूम हो कि इंटरनेट की ओर लोगों को आकर्षित करने हेतु यह एक पब्लिसिटी का शोशा मात्र था |

हर एक मन कविमन होता है , हर एक के अन्दर एक कथाकार या किस्सागो छुपा होता है | हर व्यक्ति एक अच्छा समालोचक होता है \और सभी अपने इर्दगिर्द एक रहस्यात्मक आभा-मंडल देखना चाहतें हैं ||
एक व्यक्तिगत सवाल ? इमानदार जवाब चाहूँगा :- क्या आप सदैव अपनी इंटीलेक्चुएलटीज या गुरुडम लादे लादे थकते नहीं ?

क्या आप का मन कभी किसी भी व्यवस्था के लिए खीज कर नहीं कहता
............................................

"उतार फेंक अपने तन मन पे ओढे सारे भार ,
नीचे हो हरी धरती ,ऊपर अनंत नीला आकाश,
भर सीने में सुबू की महकती शबनमी हवाएं ,
जोर-जोर से चिल्लाएं " हे हो , हे हो ,हे हो ",
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
फिर सुनते रहें गूंज अनुगूँज और प्रति गूंज||"

मेरा तो करता है : और मैं कर भी डालता हूँ

इसे अवश्य पढें " धार्मिकता एवं सम्प्रदायिकता का अन्तर " और पढ़ कर अपनी शंकाएँ उठायें ;
इस के साथ कुछ और भी है पर है सारगर्भित
बीच में एक लम्बा अरसा अव्यवस्थित रहा , परिवार में और खानदान में कई मौतें देखीं कई दोस्त खो दिये ;बस किसी तरीके से सम्हलने की जद्दोजहद जारी है देखें :---
" शब्द नित्य है या अनित्य?? "
बताईयेगा कितना सफल रहा |
हाँ मेरे सवाल का ज़वाब यदि आप खुले - आम देना न चाहें तो मेरे इ -मेल पर दे सकते है , ,पर दें जरुर !!!!



ताज़ा टिप्पणियां

कदमों के निशां

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP