tag:blogger.com,1999:blog-5192098414234791393.post8651146488414070786..comments2023-10-15T15:07:10.577+05:30Comments on " कबीरा : : अन्योनास्ति ": " काश मैं भी हो पता नीलकंठ "'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::http://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5192098414234791393.post-78050165126154179862009-07-01T17:56:28.502+05:302009-07-01T17:56:28.502+05:30अपनी हर हर नज्म में ,कर्ण की रुसवाई को जीता हुआ
मु...अपनी हर हर नज्म में ,कर्ण की रुसवाई को जीता हुआ<br />मुझे ही पायेंगें ,भीष्म की तन्हाईयों का विष पीता हुआ!<br /><br />आपकी इन पंक्तियों का ताप उत्कृष्ट श्रेणी का हैं, झकझोर दिया इसने..<br />अत्युत्तम..<br />लगता है आप 'नीलकंठ' ही हैं !<br />स्वप्न मंजूषा 'अदा'स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5192098414234791393.post-35654918457974571162009-06-15T01:28:05.950+05:302009-06-15T01:28:05.950+05:30जिंदगी ज़हर के घूंट तो अक्सर पिलाती रहती है पर नील...जिंदगी ज़हर के घूंट तो अक्सर पिलाती रहती है पर नीलकंठ हो जाना कहाँ संभव होता है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com