बुधवार, 19 अगस्त 2009

'' बदरा क्यूँ वर्षा लायें ? ? ? ''


"प्रकृति के अनगढ़ जंगल हमने हैं मेंटे"

प्रकृति के अनगढ़ जंगल हमने हैं मेंटे,
पहले भिन्न भिन्न वृक्ष उन्हें लुभाते थे ,
देख झूमते प्राकृतिक वनों
और मयूर-यूथों का नृत्य ,

समझ उसे आमन्त्रण हो मंत्र मुग्ध ,
मेघा भी स्वयं नृत्य करने लग जाते ,
लय द्रुत होते ही बदरा छलक छलक जाते ,
सावन भादो में बदरा यूँ बरखा लाते थे ,

देख नृत्यान्त में छीजी गागर अपनी,
शेष जल भी यहीं उडेल ,
फिर चल पड़ती उनकी प्रति-यात्रा ,
पुनः पुनः जल लाने को ;

प्रकृति के अनगढ़ जंगल हमने मेंटे,
सुन्दर पंक्तिबद्ध बाग लगाये,
मयूर-जूथ नर्तक भी लुप्त हुये ,
विविधता के आकर्षण नष्ट हुए ,
रुके क्यों बदरा सरपट जो राह पाये ||




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" उन्मुक्त हो जायें "



हर व्यक्ति अपने मन के ' गुबारों 'से घुट रहा है ,पढ़े लिखे लोगों के लिए ब्लॉग एक अच्छा माध्यम उपलब्ध है
और जब से इन्टरनेट सेवाएं सस्ती एवं सर्व - सुलभ हुई और मिडिया में सेलीब्रिटिज के ब्लोग्स का जिक्र होना शुरू हुआ यह क्रेज और बढा है हो सकता हैं कल हमें मालूम हो कि इंटरनेट की ओर लोगों को आकर्षित करने हेतु यह एक पब्लिसिटी का शोशा मात्र था |

हर एक मन कविमन होता है , हर एक के अन्दर एक कथाकार या किस्सागो छुपा होता है | हर व्यक्ति एक अच्छा समालोचक होता है \और सभी अपने इर्दगिर्द एक रहस्यात्मक आभा-मंडल देखना चाहतें हैं ||
एक व्यक्तिगत सवाल ? इमानदार जवाब चाहूँगा :- क्या आप सदैव अपनी इंटीलेक्चुएलटीज या गुरुडम लादे लादे थकते नहीं ?

क्या आप का मन कभी किसी भी व्यवस्था के लिए खीज कर नहीं कहता
............................................

"उतार फेंक अपने तन मन पे ओढे सारे भार ,
नीचे हो हरी धरती ,ऊपर अनंत नीला आकाश,
भर सीने में सुबू की महकती शबनमी हवाएं ,
जोर-जोर से चिल्लाएं " हे हो , हे हो ,हे हो ",
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
फिर सुनते रहें गूंज अनुगूँज और प्रति गूंज||"

मेरा तो करता है : और मैं कर भी डालता हूँ

इसे अवश्य पढें " धार्मिकता एवं सम्प्रदायिकता का अन्तर " और पढ़ कर अपनी शंकाएँ उठायें ;
इस के साथ कुछ और भी है पर है सारगर्भित
बीच में एक लम्बा अरसा अव्यवस्थित रहा , परिवार में और खानदान में कई मौतें देखीं कई दोस्त खो दिये ;बस किसी तरीके से सम्हलने की जद्दोजहद जारी है देखें :---
" शब्द नित्य है या अनित्य?? "
बताईयेगा कितना सफल रहा |
हाँ मेरे सवाल का ज़वाब यदि आप खुले - आम देना न चाहें तो मेरे इ -मेल पर दे सकते है , ,पर दें जरुर !!!!



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